ये तवायफ सोच तेरी

उफ्फ़,
ये तवायफ सोच तेरी,
मार डालेगी किसी दिन,
रंगीं नजारों में ही तेरी ,
गर्दन डुबोएगी किसी दिन।

कहीं ,
दिल भी न ये ,नापाक करदे,
मन भी न ये ,नापाक  करदे,
ये तवायफ सोच  तेरी,
गर्त में, डालेगी किसी दिन।

राह में भटका हुआ तु ,
एक दरिंदा बन न गया है,
हर गली का एक आवारा,
भ्रष्ट राही, बन गया है।

ये तवायफ सोच  तेरी,
राह से गुमराह करके ,
हर किसी को,
मार डालेगी किसी दिन।












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