धनुषी पलकों के छाँव तले




धनुषी पलकों के छाँव तले,
तेरे नैन को जब सपने आयें,
मेरे प्यार की मीठी यादों में,
लब हलके से तेरे मुस्काएँ।

तेरे सिरहाने पर बैठा मैं, 
हर रात गुजारा करता हूँ ,
चुपके से फिर तेरे मुखड़े का,
हर भाव निहारा करता हूँ।

तेरी अंगड़ाई मेरा दुश्मन है,
कुछ पल के लिए भरमाती है,
कहीं भूल से तुझको ना छू बैठू,
तेरे नींद का बैरी न बन बैठु।

मेरी ऑंखें तुझको तकती है,
एक पल को भी ये नहीं थकती है,
ये नूर मुहब्बत का भरके, 
मेरे दिल में उजाले करती है।

मर जाऊ भी तो फ़िक्र नहीं,
मेरी रूह यहीं पर आयेगी, 
जाने जाँ तुम नाराज ना हो,
हर रात यहीं पर सोना तुम,
धनुषी पलकों के छाँव तले,
तेरे नैन  को जब  सपने आयें।
 

  

     

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