तुम्हारा साथ


तुम सर्दी के दोपहर की सुहानी धुप हो मेरी ,
कड़कते धुप में, सोंधी-सुहानी छाँव हो मेरी , 
मचलते बाढ़ में कोई, बड़ी सी नाव हो मेरी,
सुहानी शाम के मस्तानी हवा की राग हो मेरी,
लरजते होंट से पूछो, पुरानी राज हो मेरी ,
इस आसमां से पूछो, स्याही बादलों से पूछो ,
मस्ताने हवा के संग, तुम बरसात हो मेरी, 
बदलते वक़्त में भी तुम सुखद सा साथ हो मेरी,
ज़माने भर की किल्लत में हमारा साथ हो मेरी ।


तुम्हारे साथ के एहसास का आलम है ये अब जानम,
हर दरिया को भी आराम से हम लाँघ आएंगे ।

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