नज्र करता हूँ , अपने दिल की गुलिस्ता तुझको..
आई जो मेरी याद ,उस गुल में ही पाना मुझको..
ये स्याह सी पलके ,सफ़ेद मोती बरसाए जो कभी..
गुलिस्तान से कुछ याद ,चुराना तु तभी..
दावा है ये मेरा ,तेरे होटों पे चौड़ी सी, तब मुस्कान सजेगी..
बस एक आस है तुमसे..
जब तन्हा बेवजा,तुम कुफ्र में बैठी होंगी..
धीरे से मेरे दिल के गुलिस्ता में चले आना ..
यादे सजाना,पिरोना फिर एक एहसास जड़ देना..
जब दिल बहल जाये,फिर से आने को, फिर चले जाना///
आई जो मेरी याद ,उस गुल में ही पाना मुझको..
ये स्याह सी पलके ,सफ़ेद मोती बरसाए जो कभी..
गुलिस्तान से कुछ याद ,चुराना तु तभी..
दावा है ये मेरा ,तेरे होटों पे चौड़ी सी, तब मुस्कान सजेगी..
बस एक आस है तुमसे..
जब तन्हा बेवजा,तुम कुफ्र में बैठी होंगी..
धीरे से मेरे दिल के गुलिस्ता में चले आना ..
यादे सजाना,पिरोना फिर एक एहसास जड़ देना..
जब दिल बहल जाये,फिर से आने को, फिर चले जाना///
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