सारा जीवन तुमपे अर्पण


तू  अमरलता की बेल   प्रिय ,मैं तुझसे लिपटी शाखा हूँ
तू जितनी लिपटी जाती है, मैं उतना तुमपे मरता हूँ ,
मेरी सुखी साख गवाही है,सारा जीवन तुमपे अर्पण/

तू मुझपे इतनी हावी हो ,बस तु ही दीखे मैं तुझमें छुपुं,
तेरी हरियाली के साये में, दम मेरा बस धीरे  निकले/




  

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