kyun yaad aati hai.....

क्यूँ  याद  आती है, सितमगर दिल जलाती है,
बाँहों की तपिश उनकी,  हमेशा याद आती है,
सिहरन जगाती है,कुढ़न बढाती  है   /

रसोईघर के बर्तन में ,मानों  दिल उबलता है,
कच्चे प्याज के माफिक ,मानों दिल उधड़ता है/
परत दर परत मानों याद छिलती है,
नमक सा काम करती है,जो ऊल्झन वक़्त बोती है/

उनकी ओंछी  हरकतों से ,ये दिल भर आता है,
अब मुझसे दूर रहती है ,मैं उनसे दूर रहता हूँ/

गोया, लबों पे बात कम है आती,
दिल फिर भी प्यार करता है,
याद आती है,रुलाती है,
आँखों के पपोटे सुजाती है/

दिल हौले से  खुद ही,  एक  सवाल करता है,
क्यूँ  याद आती है ,सितमगर दिल जलाती   है/







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