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उड़ने पे पहरेदारी है

ओश के चादर तले

राख बन गई है मुहब्बत

ये तवायफ सोच तेरी

धनुषी पलकों के छाँव तले

कृष्ण चले पिचकारी लेकर

उम्मीदों के बोझ से लथपथ

जीवन और भौतिकवादी विचारधारा

तेरे मस्त आँखों के जलवों ने