कृष्ण चले पिचकारी लेकर,खेलन को अब होरी,
गोपन संग बरजोरी करके ,रंगत है हर ओरी,
गोपन भी है मस्त कलंदर, कृष्ण से करे ठिठोरी,
पर राधा प्यारी रुठत जावत, देख सबैं की दिलजोरी।
आओ माधव हमसे भी अब, प्यार के रंग लगा लो,
मुझको भी तुम रंग में अपने रंग कर खेरो होरी,
प्रेम की लाली रंग चढ़ा के ऐसो खेरो होली,
प्रणव करे कर जोर के विनती,खेलो ऐसी होली,
प्रेम का रंग चढ़े ऐसे ही, हर मानव के मन में,
रंग बिरंगी खुशियाँ फैलें हर मानव जीवन में,
you have gone a long way, don't stop here
ReplyDeleteBhai...bhai
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